The first aspect of the human development journey is knowledge. Knowledge, in the form of education, is acquired through reading, writing, and listening. The more active the sensory organs of the human body are, the more active their cognitive abilities become. Various wise and knowledgeable individuals have emphasized concentration as the fundamental principle for acquiring knowledge.
Focus or attachment to a subject is considered essential for understanding or learning any subject deeply.
For instance, memorizing mathematical formulas for a history student is as challenging as mixing oil with water. I would like to advise all parents to guide their students in choosing subjects based on their interests or astrological positions. For example, if Mars is weak in a student’s horoscope, and they decide to pursue engineering,
it is certain that they will not achieve high success in the field of engineering. Similarly, if Saturn is in a weak position, and a student sets the goal of becoming a Chartered Accountant (C.A.), despite countless efforts, their hard work will be in vain.
Therefore, it is crucial to consider the favorable outcomes of subjects according to the individual’s horoscope.
Moving on to primary education, children often face challenges such as lack of interest in studies or distraction. The root cause of these issues lies in either a disinterest in education or the wandering of senses.
To address these problems and promote intellectual development and academic goals, I have created the “Saraswati Yantra” in the realm of the Yantra world. I am presenting you with a pendant made of silver, incorporating the Saraswati Yantra along with the Gayatri Ganesh Yantra.
This Yantra enhances a student’s concentration, intellectual capacity, and controls sensory distractions. my experience has shown that this pendant proves to be a valuable aid in achieving academic success and delivering optimal results.To all parents and students in the age group of 7 to 20 years, I sincerely recommend acquiring and wearing this highly beneficial pendant. It has consistently demonstrated its effectiveness in guiding students toward a better future. Don’t delay; obtain this pendant for your children’s bright future today.
Contact us at 99299 84849.
Your Rudraksha Shrimaali, Indian Vedic Astrologer.
बुद्धिमान है आपका बच्चा, पर नहीं लगता पढ़ाई में मन – धारण कराएँ गायत्री गणेश के साथ सरस्वती यंत्र
मानव विकास यात्रा का सबसे पहला पहलू है ज्ञान, ज्ञान यानी शिक्षा, शिक्षा प्राप्ति पठन लेखन व श्रवण के जरिए हासिल की जाती है मानव शरीर की ज्ञानेंद्रिय जितनी अधिक सक्रिय होती है उसे मनुष्य की ग्रहण क्षमता भी उतनी ही सक्रिय व प्रभाव भी होती है।
विभिन्न विद्वानों ज्ञानी पुरुषों ने ज्ञानेंद्रिय विकास के साथ ही एकाग्रता को ज्ञान प्राप्ति का मूल सूत्र बताए है किसी भी विषय में या विषय को गहन तरीके से जानने के लिए समझने के लिए एकाग्रता या विषय के प्रति लगाव अत्यंत आवश्यक माना गया है एक इतिहास के छात्र को गणित के सूत्र याद करना उतना ही कठिन है जितना पानी में तेल को मिलना तो सबसे पहले मैं सभी अभिभावक को विद्यार्थियों से यह निवेदन करूंगा कि वे सदैव विषय का चयन अपनी रुचि अनुसार या अपनी ग्रह स्थिति अनुसार करें उदाहरण के तौर पर किसी जातक की कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है और वह जातक इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करें तो यह निश्चित है कि वह इंजीनियर के क्षेत्र में उच्च फल प्राप्त नहीं करेगा वैसे ही यदि किसी जातक की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में है और वह छात्र C.A बनने की ठान ली तो लाख प्रयासों के बाद भी उसकी मेहनत निष्फल ही जाएगी। इसलिए विषय चयन में रुचि वह जातक की कुंडली में विषय के फल अवश्य देख लेने चाहिए यहां तक तो बात हुई उच्च शिक्षा की अब बात करते हैं प्राथमिक शिक्षा के बच्चों की अक्सर आपने यह हर दूसरे माता-पिता से सुना होगा कि हमारा बच्चा इंटेलिजेंट तो बहुत है पर इसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल नहीं रहता या यह लापरवाही बहुत करता है कुछ से सुना होगा इसे सब याद है पर यह लिखता नहीं है इस सारी समस्याओं में मूल में दो ही बात है पहले शिक्षा पढ़ाई के प्रति अरुचि दूसरा इंद्रियों के भटकाव शिक्षा में रुचि वह एकाग्रता विकास व शैक्षणिक लक्ष्य हेतु गंभीरता विकसित करने हेतु तंत्र यंत्र जगत में ज्ञान की देवी के नाम से सरस्वती यंत्र का निर्माण किया।
मैं उसे दो कदम आगे चल सरस्वती यंत्र के साथ गायत्री गणेश यंत्र का संयुक्त समायोजन चांदी की धातु में पेंडेंट के रूप में आपके पास पहुंचा रहा हूं (गायत्री गणेश के साथ सरस्वती यंत्र) ।
उससे विद्यार्थी की एकाग्रता रुचि बौद्धिक क्षमता को विकसित करता है वह इंद्रिय भटकाव को नियंत्रित करता है भारतीय शिक्षा प्रणाली में समय का बहुत महत्व है जैसे 16 साल और 12th की परीक्षा यह करियर का सबसे महत्वपूर्ण समय कहा जाता है इसी 16 – 18 साल के बीच यह तय होता है कि वह डॉक्टर इंजीनियर का कलाकार पत्रकार इतिहासकार व्यापारी क्या बनने वाला है।
वहीं दूसरी ओर यह 16 से 18 वर्ष शारीरिक विकास व हार्मोन चेंज के परम पड़ाव पर होते हैं अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण , नशे में क्या है करके जानने की इच्छा, प्रेम ,भावनाओं में उन्माद विकसित होता है यही यह समय है जब एक विद्यार्थी की बौद्धिक व शारीरिक क्षमता को सही रास्ते पर वह उचित लक्ष्य की ओर मोड़ दिया जाए।
मैं हर 7 वर्ष से लेकर 20 वर्ष तक की आयु वर्ग के विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों से निवेदन करूंगा कि इस बहु उपयोगी यंत्र के पेंडेंट को अवश्य धारण करें यह गायत्री गणेश व सरस्वती यंत्र ।
आपको शिक्षा क्षेत्र में उच्चतम लक्ष्य प्राप्ति वह श्रेष्ठ परिणाम देने में पूर्णतया सहायक होंगे ऐसा मेरा अनुभव वह हजारों बच्चों पर किया प्रशिक्षण पश्चात परिणाम है।
तो बिना देरी किए आज ही अपने बच्चों के बेहतरीन भविष्य हेतु इस बहु उपयोगी पेंडेंट का निर्माण कराए वह उसे विद्यार्थी को धारण कराए
हमारे इस नंबर पर संपर्क कर आप अपना यंत्र प्राप्त कर सकते हैं 99299 84849
आपका रुद्राक्ष श्रीमाली इंडियन वेदिक एस्ट्रोलॉजर