Yantra may be named a machine, device, or instrument but “yantra” gives meaning astrologically. These yantra boost our good time to best and during rainy days remove bad effects and make our life well balanced. Yantra is filled with positive energy and power not only related to god or goddess but have a good effect from astrologically i.e in “Janm Kundali”.
All grah have different specialties and symptoms and accordingly, Janam Kundli and yantra are advised. The “devi bhagwat” book says that in absence of diely or photo, these yantras may be worshipped as that of its dev.
Utility of Yantra:
During sickness, our doctor advises us on medicines for a particular disease, in the same way, astrologers by reading our janmkundali , as per the requirement of the planet, grah, advise us on particular yantra to be worshipped. Such yantra improves our strength and encourages us to complete this work successfully.
Yantra helps us to receive echoes says to increase the energy, and vibration of the universe in our body. It removes negativity and brings positivity to us.
Yantra gives us positive energy but. Yantra is required or is appropriate for you as advised by the astrologer. This yantra should be genuine and the way to wear or worship is as per described by astrologers.
Nowadays many types of yantra are available in the market. you must follow some rules this not be touched by dirty hands and should be kept in a clean cloth.
During the menstruation period, women should not touch and workshop these. One should wear or put on a yantra on the advice of any person because without a proper way to wear or worship these will not give you any benefit. you must have faith in these and they will give you good effects, results, and success.
Hindi Version
एक प्रकार की मशीन जो हमारे सामान्य से जीवन को श्रेष्ठ और खराब दुर्बल समय को संतुलित व अच्छे करने की व बदलने की ताक़त रखता है। यंत्र रहस्मय शक्तियों का भंडार होता है। यंत्र न केवल देवी देवताओं से जुड़े है बल्कि ज्योतिष व जन्म कुंडली मे भी एक बहुत बड़ा हिस्सा रखता है। कुंडली के सभी भाव व ग्रह के अलग अलग लक्षण व विशेषताएं होती है और उसके अनुकूल कुंडली व यंत्र का सही मिलान करना होता है। देवी भागवत मे कहा गया है की वांछित प्रतिमा के अभाव मे यंत्र को ही इष्टदेव की तरह पूजना चाहिए।
यंत्र की उपयोगिता
यंत्र एक दवाई की तरह है जब हम कोई रोग या बीमारी से ग्रसित होते है और डॉक्टर हमे देख कर कुछ दवाई देता है वैसे ही ज्योतिषी कुंडली में भाव ग्रह व पूर्ण कुंडली को देख कर यंत्र को धारण व यंत्र को पूजने को बोलते है। यह प्रार्थना की तीव्रता को बढ़ाने मे मदद करता है। हमे हमेशा कुशलता से काम करने के लिए सहायता और प्रोसाहन की आवश्यकता को प्राप्त करता है।
यंत्र प्रतिध्वनि प्राप्त करने मे मदद करता है शरीर मे ऊर्जा कंपन्न और ब्राह्मण के प्रभाव के प्रवाह को बढ़ाता है। जीवन मे नकारात्मक ऊर्जाओं के दुष्प्रभाव को कम करने मैं मदद मिलती है।
यंत्र वह माध्यम है जिससे हम जीवन को यश प्रेम और उन्नती से पूर्णतर भर सकते है। यंत्र को धारण करने से हमेशा सकारात्मक परिणाम ही आते है पर हां आपको कोनसा यंत्र धारण करना चाहिए ये तो कुंडली विश्लेषण से ही पता किया जा सकता है। यंत्र का सही चयन करना और सही तरीके से धारण करने पर ही यंत्र अपने पूर्णतर फल देते है। आज हजारों प्रकार के यंत्र आपको मार्केट में मिल जाएंगे पर।
यंत्र को धारण करने से पहले कुछ बातो का ध्यान रखे यंत्र को कभी भी गंदे हाथ से स्पर्श न करे।
शुद्ध वस्त्रादि का खयाल अवश्य रखे। रजस्वला स्त्री यंत्र के पास न जाए या उसे उस समय ना पूजे यह अशुभ माना
जाता है। अब अंत मे मैं आपको यह कहना चाहूंगा की अगर आपको किसीने कहा है या आप बिना सोचे समझे देखा देखी में कोई यंत्र धारण या पूजा कर रहें है तो ऐसा ना करे। क्योंकि अगर आप बिना श्रद्धा कोई भी यंत्र या पूजा कर भी ले तो भी आपको उसे कोई लाभ नहीं होगा। आप अपने घर ऑफिस या कार्यस्थल या जहा चाहे वहा यंत्र स्थापित जरूर करे तभी यंत्र आपके लिए श्रेष्ठ और आपकी उसके प्रति पूरी पूरी श्रद्धा व विश्वास होना चाहिए तब आपको जरूर आपके कार्य और इच्छा पूर्ण होंगी।