आइये इसे ज्योतिष और ग्रहों अनुसार समझाता हूँ..
कुत्ता भैरव का वाहक है.. और केतु ग्रह की शांति में उपयोग होने वाला पशु है.. केतु ग्रह यात्रा और परिवहन का कारक ग्रह है.. अति चलायमान व क्रियाशील छद्म व छाया ग्रह है.. घर से निकले तो कुछ करेंगे तभी कुछ होगा.. कुत्ता घर में पालने से केतु ग्रह स्थिर हो जाता है.. घर से निकलने की इच्छा कम हो जाती है.. संतान भी घर से बाहर कम निकलने लगती है.. और संतान बाहर चली जायें तो पढ़ाई कर वापस घर लौट आती है.. यानि कुत्ता गतिविधियों को कम करता हैं.. यातायात को कम करता है.. यात्रा की इच्छा को भी कम करता है..
किसी भी परिवार को यदि गतिशील और काम करना है और आलस्य से मुक्त रहना है तो कुत्ता नही पालना चाहिए।कुत्ता पालनेवाले कभी एकल लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते..मध्यम वर्ग के लोगों को तो बिल्कुल भी नहीं
कुत्ता निम्न परिस्थिति में घर में पालें-
एक- घर में कोई बुजुर्ग की कोई बड़ी सर्जरी होने वाली हो.. या किसी को बड़ी बीमारी का डाक्टरों ने कह दिया हो और सर्जरी करनी पड़ेंगी.. बता दिया हो..
दो- ओल्ड एज लाइफ ज़िना चाहते है.. बड़े अधिकारी या व्यापारी या उद्योगपति रहें हो और 65+ हों गये हो.. थोडा सुकून से बुढ़ापा पेंशन का आंनद लेना चाहते हो वो लोग कुत्ता पाले।
तीन- बहुत साल से कोई घर में असाध्य रोग से पीड़ित हो .. मौत नहीं मिल रही हो तब भी कुत्ता घर नही पालना पर कुत्तो को भोजन देना चाहिए और गजेंद्र स्त्रोत का जाप करते हुए कुत्तो को भोजन करवाना चाहिए.. वो भी तेल की रोटी में.. घी में नही..
चार- खेत की सुरक्षा के लिए जो लोग कुत्ता पालते हैं वो भाई अलग हो जाते है..यानी एक भाई खेतों में ही रहने लगता है और दुसरे बाहर गाँव चलें जाते है।
कुल मिलाकर आप समझ ही गये होंगे बेहद दुखद व विपरीत परिस्थिति में ही कुत्ता पाले।
कुत्तो की सेवा करें घर में ना पालें.. वो आपके चलन को कमजोर कर देता है।गतिविधियों को नियंत्रित.. आपके दिमाग़ के चालीस प्रतिशत हिस्सेदारी कुत्ता खा जाता है.. और आप सोच रहे होते है. वो कैसा है .. इसलिए घर के बाहर कुत्तो को रोटी दे तेल लगी.. ये आपके एक्सीडेंट्स को कम करता है। प्रज्ञा को चेतन रखता है। अर्ध- निद्रा व घपकी की स्थिति में सावधान करता हैं।यात्रा के दौरान जहां कुत्ते दिखे भोजन दें वो आपकी यात्रा मंगलमय करेंगे.. घर में रखें कुत्ते यात्रा ही ना करने देंगे।