ये है रत्नों का रंगीन संसार
प्रस्तुत लेख में रत्नों की रहस्य कथा में पाठकों को परिचित कराया जा रहा है कि किस प्रकार रत्न के माध्यम से व्यक्ति अपने भाग्य में परिवर्तन ला सकता है, और जीवन को सभी दृष्टियों से सुखी, सफल और सम्पन्न कर सकता है । रत्नों के माध्यम से भाग्य को परिवर्तित किया जा सकता है । कुछ ऐसे अशुभ रत्न होते है कि उनके आने से परिवार तबाह हो जाते है, तो कुछ रत्न व्यक्ति के जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाकर उन्हें उन्नति के शिखर पर पहुँचा देते है ।
यह भी आवश्यक नहीं कि प्रत्येक रत्न प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुभ या अशुभ हो, किसी को कोई रत्न अनुकूल फल देता है तो वही रत्न दूसरे व्यक्ति को अशुभ फल भी देता है, इसलिए रत्नों का चयन सावधानी के साथ करना चाहिए । रत्नों के चयन में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है कि व्यक्ति के ग्रहों के अनुसार कौन सा रत्न ज्यादा अनुकूल रहेगा। वह रत्न दूषित नहीं होना चाहिए । रत्न में किसी प्रकार की रेखा धब्बा या छींटा नहीं हो, साथ ही रत्न पारदर्शी, स्वच्छ व स्पष्ट हो, इसके साथ ही रत्न कितनें वजन का और किस उंगली में पहना जाना चाहिए, इस सब बातों का निश्चय रत्न धारण करने से पहले कर लेना चाहिए ।
चौरासी रत्न
- माणिक्य, 2. हीरा, 3. पन्ना, 4. नीलम, 5. लहसुनिया, 6. मोती, 7. मूंगा, 8. पुखराज, 9. गोमेदक, 10. अजूबा, 11. अहवा, 12. अवरी, 13. अमलिया, 14. अलेममानी, 15. ओपल, 16. उदारू, 17. एमनी, 18. कटेहला, 19. कुदरत, 20. कसौटी, 21. लहरूआ, 22. कासला, 23. कुरंड, 25. गौरी, 25. गूदडी, 26. गोदन्ता, 27. गोदन्ती, 28. चकमक, 29. चित्ती, 30. चुम्बक, 31. जबरजद, 32. अचेमानी, 33. जराहत, 34. जहरमोहरा, 35. झरना, 36. दूरटेडी, 37. तामडा, 38. टिलियर, 39. तुरमली, 40. तुरसवा, 41. दारचना, 42. दानेफरंग, 43. दुरेनजफ, 44. दांतला., 45. घूसेला, 46. नमरपधन, 47. पितोनिया, 48. परस, 49. फातेजद्दर, 50. फिरोजा, 51. फिटक, 52, बांसी, 53. मरगज, 54. मकडी, 55. मरियम, 56. मारबल, 57. मूंसा, 58. मूवेनज्फ, 59. यशव, 60. वसरी, 61. रातरतुबा, 62. जालवर्त, 63. लूधिया, 64. लास, 65. वसरा, 66. वसरी, 67. सगंसतिरा, 68. सुलेमानी, 69. संगेराहत, 70. सुनहला, 71. सिन्दुरिया, 72. सिवार, 73 सिझरी, 74. संगरिया, 75. सिफरी, 76. सोममक्खी, 77. सुरमा, 78. सिगली, 79. स्फटिक, 80. हकीक, 81. हदीद, 82. हजरतेबेर, 83. हिरवल, 84 हिरणाक ।
ये चौरासी रत्न महत्वपूर्ण है और शरीर मे पाए जाने वाले 268 रोगों की औषधियां है । अब मैं प्रमुख नवरत्नों का परिचय दूंगा
-
सूर्य रत्न माणिक्य
यह सबसे अधिक महंगा और बहुमूल्य रत्न माना गया हैं। कभी कभी तो हीरे से भी ज्यादा इसका मूल्य आंका जाता है, यह गुलाबी रंग का होता है, यह सूर्य ग्रह का रत्न है, इसका प्रयोग राजा महाराजा अपने मुकूटों में जड़ाने के लिए करते है। कलकत्ता में एक 80 कैरेट का माणिक्य है, जिसका मूल्य 36 अरब रूपए है, इसी में इसके मूल्य की पहचान की जा सकती है ।
यह शौर्य और वीरता का प्रतीक रत्न है। यदि यह रत्न पहना हुआ है तो शत्रु स्वयं बलहीन हो जाता हैं यदि लग्न से सूर्य तीसरें, पांचवें, नवें या ग्यारहवें भाव में हो और ऐसा व्यक्ति माणिक्य रत्न धारण करें तो उसे अपार धन तो मिलता रहा है। साथ ही साथ उसे सम्मान, पद और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है। नवरत्नों की अंगूठी में इसे मध्य में जड़वाया जाता है, ऐसा रत्न धारण करने वाला व्यक्ति रोग रहित धार्मिक विचारों वाला तथा वाकपटु एवं धनी होता है ।
कई रोगों में माणिक अचूक लाभ देता है।
- बड़े से बड़े घाव पर यदि माणिक्य की भस्म लगाई जाए तो वह घाव तुरन्त ठीक हो जाता है।
- यदि एनीमिया अर्थात् खून की कमी से तुरन्त सम्बन्धित रोग हो, तो मााणिक्य की भस्म शहद के साथ चटानें से लाभ प्राप्त होता है।
- जिसकी स्मरण शक्ति कमजोर हो या मस्तिष्क विकृत हो, तो, उसे माणिक्य की भस्म गाय के दूध के साथ देने से अचूक लाभ प्राप्त होता है।
- यह पुरूषत्व प्रतीक है, इसको धारण करने से नपुंसकता दूर होकर पूर्ण पुरूषत्व प्राप्त होता है।
- यदि पानी में कुछ समय माणिक्य रखकर वह पानी पी लिया जाए, तो पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
- कैंसर के रोगी को यदि पीपल के पत्ते के रस में माणिक्य की भस्म मिलाकर चटाई जाए, तो निश्चय ही कैंसर
-
चन्द्र रत्न मोती
यह चन्द्र ग्रह का प्रतीक है, मोती कई रंगों के होते है, इनमें काला, पीला, लाल, आसमानी ओर सफेद रंग के मोती विशेष प्रसिद्ध हैं। मोती की बीस जातियाँ होती है और प्रत्येक जाति के मोती प्रभाव अलग- अलग है,
उदाहरण के लिए अधिकतर महिलाओं के गले में कृशा जाति के मोतियों की माला होती है, मोती धारण करने वाला व्यक्ति या स्त्री हमेशा आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न रहता है। मत्स्याल मोती सर्वश्रेष्ठ होता है और इसको पहनने वाला व्यक्ति अजेय बना रहता है ।
-
मंगल रत्न मूंगा
संस्कृत में इसे प्रवाल, अगांकर लतामणि आदि नामों से भी पुकारा जाता है यह सागर के नीचे की सतह पर लाल व सफेद रंग में पाया जाता है, यह एक ऐसा रत्न है कि यदि इसे बाएँ हाथ की अनामिका उंगली में धारण किया जाए, तो उसे हृदय रोग नहीं होता और संर्घषपूर्ण जिन्दगी में राहत और सुख अनुभव होने लगता है। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि स्त्री जाति को भूलकर भी लाल रंग का मूंगा रत्न धारण नहीं करना चाहिए। अपितु उसे सदैव सिन्दूरी रंग का मूंगा ही पहनना चाहिए
बकरी के दूध के साथ मोती जाता है। भस्म लेने से जोड़ो का दर्द समाप्त हो जाता है
-
बुध रत्नः पन्ना
पन्नें के कई नाम है, जैसे मरकत, पाची, हरिमणि, पन्ना आदि । इसका रंग हरी झांई लिए हुए होता है, मैंने सफेद और नीम की पत्ती के रंग के पन्नें भी देखे है। मूल्य में यह काफी महंगा होता है। कई बार तो एक कैरेट पन्नें का मूल्य पाँच लाख से भी ज्यादा होता है, अमेरिका में एक करोड़पति के पास पन्नें का प्याला है, जिसका सन् 1980 में एक अरब तीस करोड़ रूपया मूल्य आंका गया था। निजाम हैदराबाद के पास पन्नें का एक गिलास था जिसका मूल्य उसकी रियासत के बराबर आंका गया विवश होकर निजाम ने उस गिलास के टुकड़े-टुकड़े करके बेचा और उस जमाने मे भी 60 करोड़ रूपए से ज्यादा एकत्र किए थे ।
यह अत्यधिक सहयोगी रत्न है, अगूंठी में जड़वाकर पहननें वाला व्यक्ति धन सम्पति वाला, सुखी और मान सम्मान वाला होता है यदि पन्नें के प्याले में शराब डालकर पी जाए तो उस शराब का प्रभाव और नशा सौ गुना बढ़ जाता है। पन्ना धारण करने वाले व्यक्ति पर किसी विष का असर नहीं होता जिसको गैस की बीमारी हो उसे पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए, इसकी भस्म से पागलपन, गठिया आधाशीशी, हकलाना, मूर्च्छा आदि रोग दूर हो जाते है ।
-
गुरु रत्नः पुखराज
इसको संस्कृत में पुखराज पीतमणि, वाचस्पति आदि नामों से भी जाना जाता है, पुखराज लगभग सभी रंगों में मिलता है, परन्तु इसका सर्वश्रेष्ठ रंग पीला है, काला और सफेद पुखराज काफी महत्वपूर्ण होता है । यदि घर में कन्या ही उत्पन्न होती हो तो पति-पत्नी दोनों पीला पुखराज धारण करें, तो उसके घर निश्चय ही पुत्र -रत्न पैदा होता है ।
हड्डी का दर्द, काली खांसी, वासीर आदि रोगों में पुखराज की भस्म विशेष महत्वपूर्ण मानी गई है, यदि शहद के साथ नित्य थोड़ी-सी पुखराज भस्म दी जाए तो उसको जीवन में कभी भी कोई रोग नहीं होता है।
-
शुक्र रत्न: हीरा
हीरा, हीरक, भार्गव, प्रिय, पवि, अर्क आदि इसके अन्य नाम है। यह कई रंग का होता है, परन्तु सफेद रंग का हीरा सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह अत्यधिक महत्वपूर्ण और बहुमूल्य रत्न है, इसको धारण करने वाला व्यक्ति शीघ्र ही
धनवान हो जाता है। एक जौहरी के पास एक गुलाबी हीरा है, जिसका वजन मात्र 160 कैरेट आंका गया है, इसका मूल्य लगभग दो अरब रूपए है, फिर भी वह इसको देना नहीं चाहता। नीले रंग का अस्सी कैरेट का एक हीरा अस्सी करोड़ में बिका था। भारत के कई राजा – महाराजा के पास महत्वपूर्ण हीरें है, परन्तु राज्य -भय से उनका प्रदर्शन नहीं किया जाता, विदेश के कोहिनूर हारलक होप आदि हीरें तो विश्व प्रसिद्ध रहे है। हीरें की पहचान यह है कि गर्म दूध में हीरा डाल दिया जाए, तो दूध तुरन्त ठंडा हो जाता है, हकलानें वाला व्यक्ति यदि अपने मुहँ में हीरा रखकर बोलें, तो उसका तोतलापन समाप्त हो जाता है, शरीर की दुर्बलता, कमजोरी, अजीर्ण, स्नायुरोग आदि में हीरक भस्म अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी गई है ।
-
शनि रत्न नीलम
इसे नील, महानील, शनिरत्न, इन्द्र नील आदि नामों से भी पुकारा जाता है। यह नीले रंग के भी पाए जाते है ।
इसकी एक और जाति होती है, जिसे खूनी नीलम कहा जाता है । वह लाल रंग का होता है, यह रत्न कुछ घंटों में ही असर दिखाने लग जाता है। यदि नीलम व्यक्ति के लिए शुभदायक हो गया, तो उसे मालामाल कर दे, अन्यथा उसे पूरी तरह से बर्बाद और नेस्तनाबूद भी कर देता है ।
-
राहु रत्नः गोमेद
इसके कई नाम प्रचलित हैं – इसमें स्वर, भानु पीत रत्न, राहु रत्न, गोमेदक आदि विशेष प्रचलित है। गौमूत्र के रंग का गोमेद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, पीलें और सुर्ख रंग के गोमेद भी मिलते है, काले रंग का गोमेद शुभदायक नहीं
होता इसके पहननें से राहु का विपरीत प्रभाव समाप्त हो जाता है, यह पथरी रोग को दूर करने में विशेष रूप
से सहायक है ।
-
केतु रत्नः लहसुनिया
लहसुनिया के कई नाम है, जिनमें वैदूर्य, बिडालाक्ष, अग्ररोग आदि विशेष प्रचलित है, सबसे अच्छा रत्न लंका का होता है, इसे कैक्टस आई भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें बिल्ली की आंख की तरह एक सफेद लकीर दिखाई देती है । इसका रंग श्याम, पीला, काला, सफेद होता है । तीन लकीरों वाला लहसुनिया रत्न सबसे अधिक श्रेष्ठ और कीमती माना गया है, इसकी माला धारण करने वाला व्यक्ति अजेय होता है ।
स्मरण शक्ति, जोड़ों का दर्द मुकदमे में जीत, पारिवारिक सुख शान्ति आदि में लहसुनिया रत्न, विशेष रूप से उपयोगी एवं सहायक है ।
-
नौ रत्नो की अंगूठी
कुछ लोग एक ही अंगूठी में नौ रत्न जड़वाकर उसको धारण करते है, पर इसमें रत्नों का
चयन सावधानी के साथ करना चाहिए और सभी रत्न लगभगबराबर वजन के होने चाहिए
इसके अलावा अगूंठी में रत्नोंको सही स्थानों पर जड़नाचाहिए, जो कि इस प्रकार है – पन्ना, पुखराज, लहसुनिया, हीरा, माणिक्य, नीलम, मोती, मूंगा, गोमेद
ये रत्न अत्यधिक नाजुक होते है, अतः इनको जड़वाते समय पूरी -पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। ज्यादा चोट लगने से रत्न टूटने का खतरा रहता है। इसलिए कुशल कारीगर से ही रत्न जड़वाना चाहिए ।
स्त्रियाँ रत्नों को गले में, कानों में या नाक में भी धारण कर सकती है, परन्तु पुरूष अंगूठी में जड़वाकर ही रत्न धारण कर सकता है।
अब हर समय आपकी पहुंच में, अपनी किसी भी समस्या, अपने किसी भी सवाल का तुरन्त पाइयें जवाब ।अभी लीजिए Telephonic Appointment – +91- 9929984849 with Best Astrologer in Delhi
अर्थिक समस्या, विवाह में विलंब, प्रेम संबंधों में तनाव, शारीरिक समस्या, मानसिक तनाव से मुक्ति हेतु व कुंडली विश्लेषण हेतु मिलिए श्रीमाली जी से दिल्ली में – BHIKAJI CAMA Bhawan, Office No. -203, Floor – 2, Bhikaji Cama Place, Near Hotel Hyatt, New Delhi